कलयुग 2.0
कलयुग 2.0
किसी प्राचीन ग्रंथ में लिखा था,
जो युगों पहले चेताया गया,
आज वही भविष्यवाणी
मोबाइल की स्क्रीन पर सच बनकर उभरा है।
धर्म, सत्य, और दया की जो दिव्य मूर्तियाँ थीं,
अब वे इमोजी और स्टोरीज में खो गई हैं।
मानवता ट्रेंड में पीछे छूट गई,
एल्गोरिदम ही अब नीति का नया ग्रंथ है।
न्याय अब लॉगिन पर निर्भर है,
और नीति को “टर्म्स एंड कंडीशन” में छुपा दिया गया है।
धन ही अब गुणों का परिचायक है,
बलशाली ही सर्वज्ञ बना दिया गया है।
“ज्ञानी पुरुष” अब रील्स में प्रवचन देता है,
और चरित्र से अधिक महत्त्वमयी है उसका ऑडियंस ग्राफ।
पैसा ही अब ज्ञान का प्रमाण है,
सदाचार एक बिका हुआ ब्रांड बन चुका है।
रिश्ते अब ऐप्स पर सहेजे जाते हैं,
प्रेम एक 'प्रीमियम प्लान' जैसा लगता है।
निष्ठा अब नॉस्टेल्जिया बन चुकी है,
और रुचि - बस पसंद और स्क्रॉल पर टिकी है।
एक प्राचीन ज्ञानी ने चेताया था -
“जब सत्य चुप होगा और झूठ को ताली मिलेगी,
जब लोभ ही नेतृत्व की पहचान बनेगा,
तब जानो, युग का पतन निकट है।”
आज उसी वाक्यांश का चित्र
हम अपनी आँखों से देख रहे हैं,
डीपफेक में सच्चाई खो गई है,
प्रोफ़ाइल ही असली चेहरा बन गया है।
अब सत्य नहीं, झूठ है सफलता की सीढ़ी,
पद की कुर्सियाँ पाने को लोग आत्मा तक गिरवी रख देते हैं।
जो जितना झूठा, उतना ऊँचा,
जो जितना सरल, उतना हारा हुआ।
प्रेम की जगह अब वासना का बोलबाला है,
स्पर्श है, पर संवेदना नहीं।
शरीर की भूख बड़ी है,
पर आत्मा की प्यास कहीं अनसुनी है।
जल संकट गहराया है, पीने का पानी नहीं,
और मन में बहने वाला प्रेम भी सूख गया है।
मानव के पास स्क्रीन है,
पर दृष्टि नहीं जो भीतर झाँके।
युद्धों की आग हर दिशा में फैल रही है,
शांति, अब बस स्मृति बन गई है।
राजनीति का हर दल, हर तंत्र
लड़ाई के नए मंच गढ़ रहा है।
प्रकृति कराह रही है,
पर इंसान के कानों में ईयरबड्स हैं।
जंगल जलते हैं कैमरे के लिए,
धरती थक चुकी है, पर हम रील बनाते हैं।
शादी अब “समझौते का अनुबंध” है,
स्नान अब शुद्धि का प्रतीक है,
धार्मिकता यश का साधन है,
आत्मा अब शो-पीस बन गई है।
एक पुरातन ग्रंथ में लिखा था -
“जब मानव स्वयं को ही भूल जाएगा,
जब बाहरी आडंबर ही जीवन का सत्य मान लिया जाएगा,
तब जीवन एक तमाशा बनकर रह जाएगा।”
हमने सुनी थी ये बातें, पर उन्हें कथा समझकर भुला दिया।
अब जब हर चेतावनी चरितार्थ हो रही है,
तब भी हम नोटिफिकेशन में खोए हैं।
उठो! अब भी समय है!
अंदर की आवाज़ सुनो -
ट्वीट्स और ट्रेंड्स से परे
एक जीवित आत्मा को पहचानो।
कलयुग को कोसने से कुछ न होगा,
मानवता का सिस्टम अपडेट करो।
धर्म, दया, और सत्य को फिर से इंस्टॉल करो,
वरना पूरी सभ्यता '404' हो जाएगी।
अपने भीतर की रोशनी को फिर से जगाओ,
क्योंकि जब भीतर दीप जलेगा,
तभी बाहर का अंधकार हटेगा।
