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Dev Sharma

Inspirational

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Dev Sharma

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कलम

कलम

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कलम पकड़ निज हाथ में, लिख मन के उद्गार,

वक्त भी कट जाएगा, सबद बनेंगे हार।।

जग सारा जंजाल सम, रिश्ते माया जाल।

दाल में काला कुछ नहि, सारी काली दाल।।

हरि सुमिरन की टेक ले, बेड़ा होवे पार।

वक्त रहते सम्भल ले, जीवन है दिन चार।

हरि सुमिरन की टेक ले, बेड़ा होवे पार।

वक्त रहते सम्भल ले, जीवन है दिन चार।।


मेरी मेरी कर रहा, पल पल घटती सांस।

कुछ तो करम नेक कर, छांव न देता बांस।।

हतप्रभ काहे होत है, देख टेढ़ी राह।

जितनी भीतर सांस है, उतनी रखना चाह।।


कलम जिन हथियार लियो, तिन से डरते लोग।

न जाने कब क्या लिखे, भक्ति ज्ञान औ वियोग।।

कलम जिन हथियार कियो, मेहनत मसि बनाए।

तिन के आगे सहज ही, सब हैं सीस झुकाए।।


कलम धन सम जिन कियो, भूमि कागद बनाए।

नित नूतन लेखन करे, जग में पूजा जाए।।

लिख लिख सब कागद भरे, मन उतारे न कोय।

दूजे को उपदेश दे, आपु न देखे कोय।।


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