कलाकार
कलाकार
जिंदगी से बड़ा
न कलाकार कोई
हर रोज नया रूप दिखाता ।
नया रूप ,नए रंग
कभी खुशी ,कभी गम
समझना चाहूँ
पर समझ न पाऊँ।
जिंदगी से ही सीखी है कलाकारी
जिंदगी बहुत ही खूबसूरत
बना ली है बगिया प्यारी ।
कम कला तो हम भी नहीं
हाँ जिंदगी के जितने शातिर भी नहीं
पर ठीक ठाक कलाकारी करते हैं जनाब ।
सब दिन होत न एक समान
उतार चढ़ाव चलते रहते
घर ..नौकरी ...परिवार...
कोई सुहाना स्वप्न
न तो किसी ने दिखाया
न ही सच में कभी आया।
हम वो हैं जो सुबह का
मैन्यू बना कर सोते हैं
आँख खुलते ही कूकर की सीटियाँ शुरू....
जिंदगी की कलाकारी से समन्वय है हमारा।
यही है जिंदगी मेरे भाई
हँस के जीओ तो गीत है ये जिंदगी....।
आटा गूँधते हुए गाना...
सजना है मुझे सजना के लिए...
फिर अपने बालों को सने हाथों से संवार देना .
मुंह पर लग जाना आटा
उस आटे का प्रियतम द्वारा आ कर हटा देना ...
है ना सच में जिंदगी खूबसूरत...।
हम कलाकार भोली इसी में...
कई जीवन जी लेती हैं.....
जरूरी नहीं हर बात जताई जाए
जो बिन कहे दिल को छू जाए....वही.....
है न जिंदगी खूबसूरत!!
जिंदगी ने ही बनाया कलाकार
और मेरे कलाकार रूप ने
नीरस में भी रस घोला
बना दिया एक खूबसूरत
जिंदगी का चित्र।
कलाकार जिंदगी की
विभिन्न कलाओं से
कलाकारी सीखना ही
असली कलाकार की पहचान है।
जो इन कलाओं में हुआ पारंगत
वह जिंदगी जी गया
वरना जीवन ढह गया ।
