किस्मत
किस्मत
किस्मत की किताब को कौन
सा ज्योतिषी पढ़ पाया है
ये तो वक्त है, जो हर पन्ने को
पल पल पढ़ कर सुनाता है
दफ़न होती जा रही है सारी
ख्वाहिशें
कोई बताए किस पन्ने पर इनका
मुकम्मल होना लिखा है
न जाने कितनी बेरुखी से रिश्तों
को लिखा है
अपनो में भी पराए होने का
एहसास महसूस किया है
किताब का आखिरी पन्ना चाहे
खुला नहीं है
मगर हर पन्ने पर मौत का मंजर
लिखा है