किसी को तो कृष्ण बनना होगा
किसी को तो कृष्ण बनना होगा
जो हो गए हैं बलहीन रण में और कर्मयुद्ध से भागे हैं,
उन अर्जुनों को आज पुनःगीता का सार सुनाना होगा !
आत्मचेतना तक खो गई है जिनकी भोग विलास में,
अगर आत्मपौरुष मर गया तो हार स्वीकारना होगा !
जो ज्ञान पिपासा भूल गए व काम वासना में लीन हुए,
उन्हें अब श्रापितो की पंक्तियों में करबद्ध रहना होगा !
आज बैठे हैं जो सिमटकर, हैं समाहित एक तृण में,
ये महाभारत है प्रलय का कृष्ण ना बने तो क्या होगा !
नीलकमलों से लिपटते बन भ्रमर जो नृप कुंवर वे,
साधकर तलवार अरि से लड़ सकें तो क्या होगा !
सत्ययुद्ध की गरिमामयी बेला है प्रखर ज़रा देखो तो,
कौन जीतेगा समर भला इसमें अब संदेह क्या होगा।