किसी की आरजू में।
किसी की आरजू में।
किसी की आरजू में खुद को ढालते है।
उसका ख़्वाब अपनी नजरों में पालते है।।1।।
बन के खुशबू उसकी सांसों में चलते है।
उसी को जमीं उसी को आसमां मानते है।।2।।
यूं तो हमें उनसे मुद्दत हुई है बोले हुए।
अपनी खुदगर्जी को चलो अब मारते है।।3।।
बहुत कर ली अपनी हमने जिंदगी में।
दिले यार के इश्क में खुद को डालते है।।4।।
महफ़िल में देखते है गैरों के जैसे वो।
वह अजनबी नहीं है उसे हम जानते है।।5।।
पल भर में हर मुश्किल आसां होती है।
झोली फैलाकर चलो खुदा से मांगते है।।6।।