किसे
किसे


किसे अपना दुखड़ा मैं सुनाऊँ?
किसके आगे हाथ मैं फैलाऊँ?
सबके सब यहां पे भिखारी है,
किसको अब में पुकार लगाऊँ?
स्वार्थी सब ही यहां नर-नारी है
किस मनुष्य के पास मैं जाऊँ?
किसे अपना दुखड़ा मैं सुनाऊँ?
किस चौखट पे पांव में बढ़ाऊँ?
जिस किसी के पास में जाता हूँ,
उसके मन में ईर्ष्या-बूंदें पाता हूँ
किस निश्छल जगह में जाऊँ?
जहां बस अपनापन में पाऊँ
किसे अपना दुखड़ा में सुनाऊँ?
जो भी यहां मेरी मदद करता है
वापस मदद की उम्मीद करता है
किस पाक चंदन
को सर लगाऊँ?
जिससे में भव-पार उतर जाऊँ
बालाजी, तू ही है, साखी की बाती,
तेरे दीप से ही बस रोशनी पाऊँ
बाकी सब जगह तम की पाऊँ
तेरे दर पे में तो बड़ा सुकूँ पाऊँ
बालाजी तुझसे ही में चैन पाऊँ
दे बाला शक्ति की तेरे नाम से,
हर शूल में खुद को महकाऊं
दुनिया के स्वार्थी रिश्ते-नातों में,
बस तेरा ही रिश्ता में सच्चा पाऊँ
करता रहूं ताउम्र में तेरी इबादत
दे हनुमान जी तेरी ऐसी मोहब्बत
तेरी इबादत में खुद को भूल पाऊँ
तेरा नाम लेते-लेते, प्राण त्याग जाऊं