किसान
किसान

1 min

100
'कि ' से कितनी मेहनत करता भारत का ये किसान ,
सा ' से सारे जग का पेट भरे ,किसान है महान !
नतमस्तक हों इसके आगे , हिंदु - सिक्ख ईसाई मुसलमान ,
देकर अपना खून-पसीना, पैदा करता गेहूं-धान ,
लेकिन सब का पेट भरके भी, खुद क्यों भूखा रहे किसान,
आखिर कब तक यूं ही चलेगा ? बतलाओ भगवान ,
कर्ज, भूख, बीमारी, तंगी ,सब किसान को घेरें ,
कैसे इनसे पिंड छुड़ाऊँ , चिन्ता शाम सवेरे ।
अब तो कोई चमत्कार दिखलाओ भाग्य-विधाता,
चिंता-मुक्त जीवन पा जाये अपना ये अन्नदाता !
जीवन के आकाश से छंट जायें ,बादल ये बदहाली के ,
पामर पूछे कब लौटेंगें,फिर वो दिन खुशहाली के !