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Antariksha Saha

Abstract

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Antariksha Saha

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किस बात की आज़ादी

किस बात की आज़ादी

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देश स्वाधीन है तब किस बात की आज़ादी

यह चांदी के चमच्च ले के जन्म लेने वाले क्या समझेंगे

होते अगर दलित या आदिवासी के बेटे तोह समझ आती


तुम्हारे मंदिरों में हमें घुसने न देते

मिड डे मील में हमारे अलग लाइन में बैठते तोह

समझ आती हमारी आज़ादी क्या है


जिन आदिवासियों पढ़ अंग्रेज़ हुकूमत ना कर सके

उन्हें उनके देश के लोगों ने प्रकितिक संसाधनों पाने की

होड़ में विस्तापिथ करनें की चक्रव्यूह रोज़ रचते जा रहे है

यह आज़ादी तुमको ही मुबारक हो


कपड़ो में तुम्हरे धर्म को पहचाना जा रहा है

जब मन हो मोब लीनचिंग की आज़ादी

वाकई मज़े की बात है

और तुम कहते हो किस बात की आज़ादी


सरकार का विरोध करना यह देश द्रोह नहीं कहलाता

यह अच्छे गणतंत्र की निशानी है

यह देश जितना तुम्हारा है उतना मेरा है

मेरी देश भक्ति ऐसी है जिसे साबित करने की जरूरत

सिर्फ मेरी इच्छा पर निर्भर है।


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