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Dr Lata Agrawal

Drama

5.0  

Dr Lata Agrawal

Drama

किरदार

किरदार

1 min
275


हम भागते रहे

उम्र तमाम

कद के पीछे

अंत में हासिल यह हुआ

कद जो बड़ा दिखाई देता था


वह साया निकला

असली जो कुछ था

वह किरदार निकला।


दुनिया को मुट्ठी में 

बाँधने का

ख्वाब लेकर

सिकन्दर आया दुनिया में


गया तो खाली हाथ था

सीखा नहीं सबक

जमाने ने

किरदार जो सिखाना चाहता था


जिंदगी के रंगमंच से

नाटक आज भी 

जारी है।


दौलत के बल

हासिल की जो डिग्रियाँ

इंसान ने

वो थोथी निकली


मुँह जब खोला शख्स ने

किरदार उसका

सामने आ गया।


किरदार वह

यूँ ही ऊंचाइयां नहीं पा गया

रिश्तों का मेला जुटाने

तिल-तिल खुद को।


बोया है दिलों में

बहुत उम्मीद थी उसे

कहानी से अपनी

कथ्य भी उम्दा

चुना था उसने


मगर 

कमजोर किरदार 

ले डूबा कहानी को।


भ्रम में है वह

बिखरे हैं कई मुखौटे

आस पास उसके अपने

उलझा हुआ है वह

अपने असली किरदार

को खोजने में।


बेहतर किरदार

ठुकरा दिए जमाने ने 

जब जब सुनी 

दिमाग की बात

आवाज दिल की

दफ़न करके।


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