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Dr Lata Agrawal

Others

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Dr Lata Agrawal

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हस्ताक्षर हैं पिता

हस्ताक्षर हैं पिता

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चली आती थीं

सायकिल पर

होकर सवार

खुशियाँ,

शाम ढले

नन्हें-नन्हें उपहारों में

संग पिता के

घर का उत्सव थे पिता |


संघर्षों के

आसमान में

बरसती बिजलियों से

लेते लोहा

ऐसी अभेद दीवार थे पिता |


चिंताओं के कुहरे से

पार ले जाते

अनिश्चय के भँवर में

हिचकोले लेती

नाव के कुशल पतवार थे पिता |


चहकते रहते थे रिश्ते

महकती थी

उनसे प्रेम की खुशबू

सम्बन्धों के लिये

ऐसी कुनकुनी धूप थे पिता |


जिन्दगी की

कड़ी धूप में

नहला देते

अपने स्नेह की

शीतल छाँह से

ऐसे विशाल बरगद थे पिता |


घर -भर को

नया अर्थ देते

जिन्दगी के

रंगमंच के

अहम किरदार थे पिता ।


हर परीक्षा में

हमारी

सफलता -असफलता की

रिपोर्ट कार्ड के

महत्वपूर्ण हस्ताक्षर थे पिता | 

                                        

आज

उत्सव के अभाव में

गहरा सन्नाटा है घर में

चहुँ ओर

कड़कती हैं बिजलियाँ |

जीवन नैया

फसी है भंवर में

कुनकुनी धूप के अभाव में

दीमक खा गई

रिश्तों को

एक अहम किरदार के बिना

सूना है

जीवन का रंगमंच

सफलता – असफलता के

प्रमाणपत्र

बेमानी है

एक अदद हस्ताक्षर के

बिना ।



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