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Rajeev Upadhyay

Abstract

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Rajeev Upadhyay

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कि तुम्हारा ख़त मिला

कि तुम्हारा ख़त मिला

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डाकिए ने 

थाप दी हौले से 

आज दरवाजे पर मेरे 

कि तुम्हारा ख़त मिला।


तुमने हाल सबके सुनाए 

ख़त-ए-मजमून में कुछ हाल तुमने ना मगर 

अपना सुनाया 

ना ही पूछा 

किस हाल में हूँ? 

कि तुम्हारा ख़त मिला। 


बता क्या जवाब दूँ मैं तुमको? 

या घर की ख़बर सुना दूँ?

कि मेरे बालों की चाँदी तरह ही 

बहुत पुराना हो गया है 

कि साँस उसकी 

अब उखड़ने सी लगी है। 

कि तुम्हारा ख़त मिला।


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