वो जगह
वो जगह


ढूँढ रहा हूँ जाने कब से धुँध में प्रकाश में
कि सिरा कोई थाम लूँ जो लेकर मुझे उस ओर चले
जाकर जिधर संशय सारे मिट जाते हैं
और उत्तर हर सवाल का सांसों में बस जाते हैं।
पर जगह कहां वो ये सवाल ही अभी उठा नहीं
कि आदमी अब तक अभी खुद से ही मिला नहीं।