ख्यालात
ख्यालात
हमारे बुरे ख्यालात
भेजते हमें हवालात
टूटती पत्थर-लकीरें
जब चुभती कोई बात
जो सब सह जाते हैं,
वो खिलते फूलों के साथ!
हमारे ये बुरे ख्यालात
भेज देते हमे हवालात
तोड़ते जाते है,वो
हंसते हुए शीशे के दांत
खिलते हुए फूलों से
बन्द हो जाती मुलाक़ात!
हमारे ये बुरे ख्यालात
तोड़ते शराफ़त की बात
तू दूर रहना साखी
इन बुरे ख्यालों से,
सदा अच्छे ख्यालों से,
मिलती है,
मंजिल की सौगात!
तोड़ना बुरे ख्यालों के हाथ
जो रखते अच्छे ख्यालात,
उनके हंसते होते हर जज़्बात
हर महफिल उनकी खिलती है,
जिनके अच्छे होते है,जज़्बात
अच्छे विचार सदा ही बनाते है
अच्छे इंसानों की जात!