ख्वाहिशें
ख्वाहिशें


ख्वाहिशें दौलत हैं मेरी
उसको छीनो तो भला
ख्वाहिशें जी चाहे जितनी
ज़ोर किसी का क्यूँ भला।
पंख हैं पंछी की मानिंद
और ऊंचे हौसले
छूने को नभ की बुलन्दी
उड़ चले हम उड़ चले।
अनदेखी हैं ये हैं अनामी
रंगो बू से हैं परे
ख्वाहिशों के ले पुलिंदे
क्षितिज छूने उड़ चले
हौसले तगड़े।
कभी-कभी होता गुमां यूं
घन तमन्ना के घिरे हैं
झर रहीं हैं बन फुहारें
आज दिल की ख्वाहिशें।
झूम कर नाचेंगी
नयनों की चमक
बन बूँद तब
गुनगुनाती हैं मल्हारें।
संग पपीहा दादुरैं
मन मयूरा नाचे तक धिन
श्रावणी सुर ताल पर
सरगमों के संग छनन छन
महकी मेरी ख्वाहिशें।