ख़्वाब
ख़्वाब
ख्वाब आँखों में, क्या-क्या नहीं पालें हमने
स्याह रातों को दिए, फ़न के उजाले हमने ।।
ज़िन्दगी हार और जीत की नहीं होती
मान कर ख़ुद को किया, ख़ुद के हवाले हमने।।
एक तन्हाई से,लड़ना नहीं आया हमको
भीड़ को तो, बख़ूबी हैं सँभाले हमने।।
बाद जीवन के,कोई और जहाँ है कि नहीं
सारे अरमान यहीं, दिल के निकाले हमने।।
ग़ौर फ़रमाएगा,हम पर भी ज़माना ए ‘ उदार ‘
सी लिए सोच यही, दिल के छाले हमने।।