लहरों सी
लहरों सी
उलझी गांठों को खोलूँ मैं , टूटी कड़ियों को जोडूं
जब मंजिल दिखे सामने, हर राह उस ओर मोडूं,
मैं नारी , मेरे रूप कई...मन से हर किरदार निभाऊं
अपने बेबाक विचारो से हर मसला आसान करू,
बूंद बूंद से भरूं समंदर लहरों सी बहती जाऊं
सच्चे नेक इरादों से भारत का सर ऊंचा करूं।