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ख़्वाब

ख़्वाब

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इक ख़्वाब निग़ाहों के,
पिंजड़े में कैद है,
उस ख़्वाब की रानी तुम,
मैं ख़्वाब का राजा हूँ। 

वो ख़्वाब सलोना सा,
भरी आँखों से जो देखे,
उस ख़्वाब की पलकें तुम,
मैं ख़्वाब का काजल हूँ। 

वो ख़्वाब किसी गीत सा,
सुरों का जादू जिसमें,
उस ख़्वाब की श्रुति तुम,
मैं ख़्वाब की पायल हूँ। 

वो ख़्वाब आसमानों सा,
जहाँ चाँद-तारे नहीं,
उस ख़्वाब की बारिश तुम,
मैं ख़्वाब का बादल हूँ। 

इक ख़्वाब निग़ाहों के,
पिंजड़े में कैद है,
उस ख़्वाब की कहानी तुम,
मैं तो बस एक पल हूँ।  


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