खूबसूरत अध्याय
खूबसूरत अध्याय
दिल की धक-धक बढ़ने लगी थी
मेरे इंतजार की घडी खत्म होने वाली थी
इतने दिनों से सिर्फ फोन पर बातें कर रहे थे
पर आज सचमुच ही पहली बार मिलने वाले थे।
वक्त बड़ी तेजी से दौड़ रहा था
न जाने आज होने क्या वाला था
तुमसे क्या और कैसे बात करूँ
कुछ समझ में नहीं आ रहा था।
भीड वहाँ उस दिन बहुत थी
एक खाली कोने में अकेली मैं बैठी थी
तेरे मैसेज पढ़कर यहाँ वहाँ देख रही थी
तभी तुझे आते देख मैंने नजर चुराई थी।
दिमाग में बातें बहुत चल रही थी
लेकिन कहने की हिम्मत नहीं हो रही थी
दोनों चुपचाप से बैठे थे
एक दूसरे के बोलने का इंतजार कर रहे थे।
अपने ख्वाबों की दुनिया में खो गयी थी
हर तरफ वायलिन की धुन बज रही थी
फूलों की जैसे बरसात हो रही थी
जीवन के इस खूबसूरत अध्याय की
शुरुआत हो रही थी।