खूब सहे वो भार "
खूब सहे वो भार "
जैसे समुद्र है गहरा,खूब सहे वो भार
ऐसे ही पिता वृक्ष है,कभी न माने हार
कभी न माने हार,साथ वह पूरा देता
खुशी रहे परिवार,आस में जोखिम लेता
लगा रहे दिन रात ,खूब कमाता वह पैसे
सफल बने संतान ,बात खूब कहे जैसे।
जैसे समुद्र है गहरा,खूब सहे वो भार
ऐसे ही पिता वृक्ष है,कभी न माने हार
कभी न माने हार,साथ वह पूरा देता
खुशी रहे परिवार,आस में जोखिम लेता
लगा रहे दिन रात ,खूब कमाता वह पैसे
सफल बने संतान ,बात खूब कहे जैसे।