खुलते मन के द्वार
खुलते मन के द्वार
त्राहि त्राहि जग करे, ऐसा जगत भूचाल,
बंद जगत के द्वार सब, बिन विलंब तत्काल,
उस क्षण में मन खोजता, अनगिनत हृदय सवाल,
उस अवधि में जान सका, अपने मन का हाल,
अपनों संग संपर्क बड़ा, बदला सब उस काल,
मन की सब गिरह खुली, अद्भुत था वो साल।