खुद की कमियां
खुद की कमियां
जीवन के मर्म को जो समझा,
वो सबसे बड़ा व्यापारी हैं,
जो समझ सका न खुद को कभी,
वो सबसे बड़ा भिखारी हैं।
खुद की कमियां गुण समान,
दूसरो की गुण बेमानी है,
खुद के मन में है मैल भरा,
दूसरों का मन बीमारी है।
खुद चलते है शतरंज की चाल,
दूसरो की हैं तोड़े नाल,
दूसरो का धन लूट कर बनाते,
खुद को वो माला माल।