STORYMIRROR

Smita Mishra

Abstract Others

2  

Smita Mishra

Abstract Others

खुद खुशी

खुद खुशी

1 min
2.9K

खुद, खुद की खुशी से 

  अनजान रहे हम

अपनी ही मरजी से तो 

   चाहत से महरूम रहे हम.....


ना दे सके कभी 

   सफ़ाई अपनी बेगुनाही की

रिश्तों की अदालत में

   सदा मुल्जिम रहे हम... 


मर्यादा की बेड़ियों से

      जकड़ गये हम

दूसरों को मुस्कान देते देते

    खुद से बेगाने हुये हम.....


परख के शीशे में

  जब भी देखी अपनों की सूरत

खुद अपने ही चेहरे से

         डर गये हम.....


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract