खुद का भला
खुद का भला
तू ख़ुद का भला कर वो काफी है
सबके पास यहां खुद का हाथी है
जितनी मदद करेगा तू लोगो की
वो निशानी होगी तेरे मुर्खपन की
सबको अपने हाल छोड़ दे साखी
कोई न बनता यहाँ दीये की बाती
बिना मांगे जो यहां मदद करता है,
वो रोता दरिया में लहरों की भांति
तू खुद का भला कर वो काफी है
न कर किसी जिंदगी में ताकाझांकी
यहां जिसके पैरों में ताक़त होगी,
मंजिल उसी के चरण चूमती होगी,
बिना मांगे जब कोई चीज मिलती है,
उसकी न होती कोई कीमत साथी
तू ख़ुद का भला कर वो काफी है
अकेले सूर्य से यहां रोशनी आती है!