खो से गए है।
खो से गए है।
खो सा गए है
अपनो के इस भीड़ मेंं
कुछ अपनो के ख़ुशी
तो कुछ अपनों के दिए गम मेंं।
खो सा गए हैं
सपनो के इस दुनिया मेंं
मंज़िल के करीब पहुँचकर टूट
जाते सपनों के गम मेंं
खो सा गए हैं।
ज़िम्मेदारी की दुनिया में
बढ़ती उम्र के साथ परिवार
के ज़िम्मेंदारी के गम में
खो सा गए है।
रिश्तेदारी की दुनिया में
एक तरफ माँ-बाप,
भाई -बहन
दोस्त यार औऱ फिर
आखिर प्यार के गम में
खो सा गए हैं।
अपनी भविष्य की दुनिया में
क्या बनना है क्या बनूँगा
क्या वो बन पाऊंगा
इन्हीं बातों के गम में
खो सा गए हैं।
खुद व खुद में
जो मैं अंदर से हूँ
वो बाहर से नही
बस खुद को
रखता हूँ वहम में
खो सा गए हैं।
जिंदगी की उलझन में
फिर भी खुशियों का
जरिया ढूंढ लेता हूँ
राक्षस रूपी इस गम
भरे जीवन में।