अपना हीरो सोनू सूद है
अपना हीरो सोनू सूद है
जब सरकार से उम्मीद टूटी
मजदूरों ने खुद की ठानी
अपनो से मिलने कंधे पर बिस्तर बोरे
लेकर सड़को निकल आए।
मजदूरों की बेवसी औऱ लाचारी को
कइयों ने इनकार किए।
तब जाकर इनके लिए
देवदूत औऱ फ़रिश्ते बनकर
सामने सोनू सूद आए।
फ़िल्मो में करते हैं
खलनायक की अदाएँ।
पर मजदूरों के बीच
मसीहा बनकर छाए।
इंसानियत की परवाह किये
दिन रात मेहनत करके
मन मे सहायता
का प्रतिज्ञा लिए।
"तुम मुझे पता दो"
मै
ं तुम्हे घर छोड़ दूंगा
एक सुंदर सा नारा लिए।
हर एक मजदूरों को बस, ट्रैन औऱ
विमान का इंतज़ाम किए,
सबको उनके परिवार से
मिलने घर पहुचा दिए।
हर एक मज़दूर के दिल मे
उनकी दुआओं में
"सोनू सूद " जुग-जुग जिए।
मदद के फ़रिश्ते औऱ
दिल के अमीर तो हमारे
सोनू सूद है।
अमीर
वरना पैसे वाले
अमीर तो बहुत है पर
उनकी इंसानियत का
नहीं कोई वज़ूद है।