खो जाने को दिल करता है
खो जाने को दिल करता है
मुझे पागल बोलता है वो खुद मज़ाक करता रहता है
कभी प्यार करता है तो कभी गुस्सा करता रहता है।
कभी समझ आता है तो कभी बिलकुल समझ नहीं आता
ये हर दर्द को अपने झूठी हँसी से इस कदर है छुपाता।
कहता है रोज़ मिलते रहेंगे पर हर वक़्त बात नहीं करेंगे
अँधेरे में चुप बैठे कुछ पल बस तारे ही गिनते रहेंगे।
उसकी चुप्पी देख कर आज कुछ अजीब सा लगा मुझे
हर पल मज़ाक करने वाले ने आज ताना भी नहीं मारा मुझे।
उसकी नशीली आँखों में हर पल खो जाने को दिल करता है
वो आस पास ना हो तो ग़ालिब मर ही जाने को दिल करता है।