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मेरा दिल

मेरा दिल

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चुप नहीं हूँ मैं अंदर ही अंदर चीख रही हूँ

उसकी गैर-मौजूदगी में आंसू पीना सीख रही हूँ


बिन उसको बताए दिल का हाल अपना

धीरे-धीरे शायरियों में दर्द उतार रही हूँ


वो समझता नहीं है या मुझे समझाना नहीं आता

मज़ाक-मज़ाक में उसके मेरा दिल है टूट जाता


प्यार करता है मुझसे और वो तड़पाता भी बहुत है

उसके इश्क़ में ग़ालिब अब मैं अदब से लुट रही हूँ ।


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