कहीं चाय ठंडी न हो जाए
कहीं चाय ठंडी न हो जाए
सुनो न...
तुमने कहा था न चाय पर मिलने को,
हमने दो प्याली चाय बना के रखी है।
एक तुम्हारे लिये और एक मेरे लिये,
या फिर हम एक ही प्याली में साझा कर लेंगे।।
सुना है जूठा पीने से प्रेम बढ़ता है,
अब अपने प्यार को और भी गहरा करना है।
बहुत डर चुकें इस दुनिया से अब नहीं डरना है।।
पर तुम आओ न कहीं फिर से प्यार अधूरा न रह जाये,
नहीं सहना मुझे अब कोई दर्द बहुत मुश्किल होती है।
तनहॉइयों में ये ऑखें भी बहुत रोती हैं।।
तुम समझ रहे हो न तो आओ न एक बार फिर से..
अपने प्यार की शुरूआत करतें हैं।
पर इस बार थोड़ा जल्दी आना ..
कहीं हमारी चाय ठंडी न हो जाये।