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Jayantee Khare

Abstract

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Jayantee Khare

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ख़ाबों में उड़ान

ख़ाबों में उड़ान

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इतना बड़ा जहान है

मीलों फैला आसमान है

हर किसी को मयस्सर नहीं

एक छोटी सी उड़ान है


कोई देख नहीं सकता है

एक सोने का पिंजरा है

कोई रोके न टोके कभी

बस निगाहों का पहरा है


चाह के भी उड़ न पाए 

एक परिंदा फड़फड़ाये

है जहाज का रहने वाला

कर उड़ान वापस आ जाये


कहने भर को आसमान है

इसी पिंजरे में जहान है

मन को कोई रोक न पाए

ख़्वाबों में तो ऊँची उड़ान है।


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