ख़ाबों में उड़ान
ख़ाबों में उड़ान
इतना बड़ा जहान है
मीलों फैला आसमान है
हर किसी को मयस्सर नहीं
एक छोटी सी उड़ान है
कोई देख नहीं सकता है
एक सोने का पिंजरा है
कोई रोके न टोके कभी
बस निगाहों का पहरा है
चाह के भी उड़ न पाए
एक परिंदा फड़फड़ाये
है जहाज का रहने वाला
कर उड़ान वापस आ जाये
कहने भर को आसमान है
इसी पिंजरे में जहान है
मन को कोई रोक न पाए
ख़्वाबों में तो ऊँची उड़ान है।