Sunita Katyal
Abstract
करूँ मैं क्या
खोल किताब घंटो बैठी रहती हूँ
आँखों के सामने
पर नजारा विराट तेरे खेल का होता है
जीवन की परेशा...
हवा के साथ बह...
किसी से नहीं ...
हमें क्या
रात ये कह कर ...
जीवन की परिस्...
किस से कहूं
भ्रमित ना हो
लॉक डॉउन और ह...
अकेलापन और लॉ...
सबसे सुंदर तेरी रचना, बाकी रचनाएं अपूर्ण हुईं। सबसे सुंदर तेरी रचना, बाकी रचनाएं अपूर्ण हुईं।
युग के मानस चित्त का ये, सामरिक परिणाम था, महाभारत घटना नहीं थी, क्रिया कर्म प्रमाण युग के मानस चित्त का ये, सामरिक परिणाम था, महाभारत घटना नहीं थी, क्रिया...
कौटिल्य नाम से इन्हें जानता समूचा संसार। कौटिल्य नाम से इन्हें जानता समूचा संसार।
ज़र्रा - ज़र्रा दुनिया में इस क़दर सिमटते जाते है। ज़र्रा - ज़र्रा दुनिया में इस क़दर सिमटते जाते है।
जिसके बल पर जीत मिली, औ चित्तौड़ राज्य उपहार। जिसके बल पर जीत मिली, औ चित्तौड़ राज्य उपहार।
घुस जाती है रसोई में रात्रि के भोजन की तैयारी में। घुस जाती है रसोई में रात्रि के भोजन की तैयारी में।
शाम ढलते ही जिंदगी के आखिरी पल गुज़र जाते हैं। शाम ढलते ही जिंदगी के आखिरी पल गुज़र जाते हैं।
पचासी पैसे खाने वाले बिचौलिए हटा दें, जागृत हो अब सकल समाज। पचासी पैसे खाने वाले बिचौलिए हटा दें, जागृत हो अब सकल समाज।
कामदेव के आमन्त्रण को कैसे मैं ठुकरा दूँ प्रियतम। कामदेव के आमन्त्रण को कैसे मैं ठुकरा दूँ प्रियतम।
किताबों की दुनिया भी कितनी अजीब है अंधकार को प्रकाशित करती ये नाचीज़ है। किताबों की दुनिया भी कितनी अजीब है अंधकार को प्रकाशित करती ये नाचीज़ है।
या मैदान के ये दोनों खिलाड़ी लड़ते रहेंगे बस ऐसे ही। या मैदान के ये दोनों खिलाड़ी लड़ते रहेंगे बस ऐसे ही।
मानवता को भूल गया है मानव कुसंस्कार कर रहे हैं आक्रमण ! मानवता को भूल गया है मानव कुसंस्कार कर रहे हैं आक्रमण !
मैं हूँ ना" जताना परिभाषा ही तो है इश्क की। मैं हूँ ना" जताना परिभाषा ही तो है इश्क की।
स्वाभिमान सम्मोहन जन जन में संगीत साहित्य से कल्याण हो। स्वाभिमान सम्मोहन जन जन में संगीत साहित्य से कल्याण हो।
मासूमियत और वफादारी जिंदगी भर चलती है। मासूमियत और वफादारी जिंदगी भर चलती है।
आरे में तुम्हारे घर का बुनियाद हूं बस बताता नहीं हूं। आरे में तुम्हारे घर का बुनियाद हूं बस बताता नहीं हूं।
अब मैं घर वापसी ऐसी करूँगा तुम्हारे मेरे तक आने का रास्ता बंद मिलेगा। अब मैं घर वापसी ऐसी करूँगा तुम्हारे मेरे तक आने का रास्ता बंद मिलेगा।
इन दिनों कविता जटिल हो गई है। इन दिनों कविता जटिल हो गई है।
उचित हो उपयोग जल का हो सदुपयोग जल है जीवन सबका, व्यर्थ न हो दुरुपयोग। उचित हो उपयोग जल का हो सदुपयोग जल है जीवन सबका, व्यर्थ न हो दुरुपयोग।
साथ मेरा निभाते हैं तुझ संग बीते वो पल याद बहुत आते हैं। साथ मेरा निभाते हैं तुझ संग बीते वो पल याद बहुत आते हैं।