खबर
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मन के आकाश में
उड़ रही थीं
आशा और निराशा की
दो पतंगें।
कभी आशा उपर जाती
कभी निराशा उपर जाती।
फिर शुरू हुआ युद्ध
एक दूसरे को काटने का
और आकाश में छा गये
काले काले बादल।
आशा ने देख लिया
निराशा की डोर को
और काट दिया एक झटके से।
तब तक आकाश रोशन हो चला था
और दिख रही थी आकाश में
निराशा की कटी हुयी पतंग
गिरते हुये
नफरत के आंगन में।