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Pragati ._. 10

Tragedy

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Pragati ._. 10

Tragedy

कहां खो गए हम ?

कहां खो गए हम ?

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क्यों इतने मतलबी हो गए हैं हम

अपनों से ही दूर हो गए हैं हम 

कभी साथ बैठकर हंसते- खिलखिलाते थे

आज इंटरनेट की दुनिया में खो गए हैं हम


कभी सुबह उठकर ताज़ी हवा का आनंद लेते थे

वहीं आज उठते ही फेसबुक, इंस्टाग्राम चलाते हैं

कुदरत का खूबसूरत आनंद छोड़कर

आज इंटरनेट की दुनिया में ही संतुष्टि पाते हैं


कहीं घूमने जाते हैं तो 

लाइव होकर सबको दिखाते है हम

मगर इस दिखावे के चक्कर में 

घूमने का आनंद लेना ही भूल जाते है हम


पेड़ बचाओ , पेड़ लगाओ ., जैसे कितने ही नारे

फेसबुक ,ट्विटर पर डालते हैं 

मगर कहीं न कहीं ये

केवल फेसबुक , इंस्टाग्राम तक ही सीमित रह जाते हैं


इंटरनेट की दुनिया में हम कुछ यूं खो गए है

जैसे इसी के मोहताज से हो गए हैं

कहते तो है हम कि अपनी दुनिया में रहते हैं

मगर खुद से ही दूर हो गए हैं।



                            


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