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Vinita Shah

Inspirational

4  

Vinita Shah

Inspirational

कब तक रोकोगे

कब तक रोकोगे

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तुम कब तक मुझको रोकोगे,

कुछ सपने मेरी मुट्ठी में हैं, 

कुछ आशाओं से जेब भरी  

अरमान कई दिल में मेरे, 

कुछ तो मैं कर जाऊॅंगा, 

कुछ तो कर जाऊॅंगा। 

दीपक-सा जलता

जाऊॅंगा 


सूरज की गर्मी नहीं मुझमें। 

मेरी दुनिया रोशन करने से, 

तुम कब तक मुझको रोकोगे। 

मैं उस मिट्टी से नहीं बना, 

जिसमें नदियों की धारा है। 

मैं पैरों से ही रौंदा गया, 

मृत्यु ने ही मुझे सींचा है।

तुम कब तक मुझे मिटाओगे, 

मिटने वालों में नाम नहीं मेरा। 

तुम कब तक मुझको रोकोगे। 

जुल्म कई किए दुनिया ने मुझ पर, 

अब दर्द नहीं कुछ होता है। 

तुम रोक नहीं सकते मुझको, 

देखें तुम कब तक मुझको रोकोगे, 

देखें कब तक तुम रुकोगे।


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