Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Shashi Rawat

Abstract

3  

Shashi Rawat

Abstract

कौन सा हमारे साथ हो रहा है

कौन सा हमारे साथ हो रहा है

2 mins
334


प्राचीन समय से ही 

लोगों में आपस में 

बात करने की प्रथा 

चली आ रही है

जिसे लोक व्यवहार 

भी कहा जाता है  


अपने सुखों को 

दूसरों से बाँटना 

और दूसरों के दुःखों को 

अपना बना लेना 

ये ही बातें उन्हें 

हमेशा अलग बनाती है 


कठिन परिस्तिथियों में 

कैसे काम करना है 

कैसा सोचना है 

आपस में सोच-समझ कर 

बात का निपटारा 

कर लिया जाता था 


जो सबसे घुल-मिलकर 

रहता है 

और सबसे बात करता है 

उसे सब अच्छा कहते थे 

उसकी बातों को तवज्जों 

भी दी जाती थी सर्वसम्मति से 


मगर जो कटा-कटा सा 

रहता था सबसे 

बात नहीं करता था 

प्राय: उसे घमंडी की 

संज्ञा दी जाती थी 

और उसकी अवहेलना 

की जाती थी 

तीज-त्यौहारों में 


ऐसे व्यक्ति को अक्सर 

तानों से गुजरना पड़ता था 

मानसिक तनाव से 

जूझना पड़ता था 

हर वक्त, हर पल 


सामाजिक दवाब बनाया 

जाता था उस पर 

काम में सहयोग न देना 

कोई चीज न देना 

उसके परिवार के साथ 

भेदभाव सा किया जाता था 


ऐसे व्यक्ति के लिए 

समस्या हो जाती थी 

जो अंतर्मुखी होते थे 

स्वभाव से 

जिन्हें ज्यादा बोलना 

पसंद नहीं होता था 

तो उन्हें गलत समझ 

लिया जाता था 


मगर आज ऐसा 

नहीं है 

वो लोक व्यवहार 

कहीं खोता जा रहा है 

सब खुद में ही 

सिमटते जा रहे है 

साथ वाले पड़ोस में 

क्या हो रहा है 

सब अभिज्ञन है 


कोई मरता है तो 

मरने दो 

किसी के साथ 

कुछ होता है तो 

होने दो 

कौन सा हमारे साथ 

हो रहा है 

हम तो 

सुरक्षित है न 

बस फिर सब ठीक है 


इसे बदलने की जरूरत है 

कि वो मेरा कुछ नहीं लगता 

मुझे तो कुछ नहीं हो रहा 

बस सब ठीक है 


सबको अपना समझो 

आज अगर तुम किसी की 

मदद करोगे तो 

कल तुम्हारे अपनों की भी 

कोई मदद करेगा 

अपना समझ कर 

आखिर कब तक 

सरकार और दूसरों 

पर इल्ज़ाम लगाते रहोगे 


अगर समाज को 

ठीक होना चाहिए 

तो तुम्हें भी तो 

ठीक होना पड़ेगा 

तुमको सब में राम 

चाहिए तो खुद भी तो 

पहले राम बनना पड़ेगा न...


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract