कौन बात का तुझे घमंड है?
कौन बात का तुझे घमंड है?
कौन बात का तुझे घमंड है, आज आया कल जाएगा।
आया मुट्ठी बांध के जग में, हाथ पसारे जायेगा ।।
रोते हुए तू आया था अब, उन कष्टों को भूल गया,
माता-पिता, पत्नी माया में, रब से वादा भूल गया।
जाना है फिर प्रभु नगरिया, रहना कैसे ये सोच लो,
पाप-पुण्य का गठरी माथे, लेकर जाना ये सोच लो।
पाप का गठरी भारी होगा, पुण्य हल्का हो जाएगा।।
आया मुट्ठी बांध के जग में, हाथ पसारे जायेगा।।
कौन बात का तुझे...................।।
जीवन पथ पर तुम से किसी को, कष्ट न हो ये ध्यान रहे,
किसी के दिल को ठेस लगे, वो बात नहीं मुंह से निकले।
छोटा-सा यह जीवन है , इसे सबके साथ जियो हंसकर,
खूब हंसो, खेलो, आनंद करो , रहना बुराई से बचकर।
घमंड न करना तभी, जीवन में तुम आगे बढ़ पाएगा।।
आया मुट्ठी बांध के जग में, हाथ पसारे जायेगा।।
कौन बात का तुझे....................।।
चार दिन का जीवन कमलेश ,प्रभु से नेह लगा लो तुम,
नहीं तो सृष्टि बहुत बड़ी है, दुख में हो जाओगे गुम।
जीवन में सदाचार और मानव-मूल्यों को अपनाओगे,
तब तुम खुशी-खुशी दुनिया से, प्रभु नगर को जाओगे।
भक्ति-भावना दिल में रखना, तभी परम सुख पायेगा।।
आया मुट्ठी बांध के जग में, हाथ पसारे जायेगा।।
कौन बात का तुझे.................................।।