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Dhirendra Panchal

Inspirational

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Dhirendra Panchal

Inspirational

कौन आएगा

कौन आएगा

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है धरा उदघोष करती लालिमा आकाश की।

शुष्क होते ताल पोखर क्यों प्रतीक्षा प्यास की।

चूक गया गर आज फिर तु कल कहाँ से पाएगा ?

खुद उठो तिनके जुटाओ , घर परिंदों का बनाने कौन आएगा ?


यह जमाना है तेरे संग जब तलक तू होश में है।

हो जरा मगरूर तू क्यों बेवजह ही जोश में है।

खंडहर में रौशनी तू फिर कहाँ से लाएगा ?

खुद उठो तिनके जुटाओ , घर परिंदों का बनाने कौन आएगा ?


बस्तियों में आग लगते हैं दिए जलते नहीं।

झोपड़ी में ध्यान देना मोम तक गलते नहीं।

पत्थरों पर दोष मढ़ने कौन जाएगा ?

खुद उठो तिनके जुटाओ , घर परिंदों का बनाने कौन आएगा ?


खोल अपने पंख तुझको है बुलाता आसमां।

हौसलों को दे दिशा तू चल हवा आजमा।

डूबते सूरज के किस्से कौन गाएगा ?

खुद उठो तिनके जुटाओ, घर परिंदों का बनाने कौन आएगा ?


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