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Dhirendra Panchal

Others

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Dhirendra Panchal

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ए हो परिंदा

ए हो परिंदा

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बोलबा त मारल जइबा ,

बोलबा त मारल जइबा ,बनबा जे बागी हो ।

भभका ना दियनी लेखा सूरज के आगी हो ।।


उड़बा जे ए हो परिंदा,पंखिया जर जाइ हो ।

बाबू से कहिके लेला ठेला किनवाई हो ।।


बेचिहा तू चाय परिंदा , डिगरी जराई हो ।

पुलिसन के चाय पियईहा जइसे भउजाई हो ।।


करबा तू जसहीं जादा , जरिको कमाई हो ।

अठरह परसेंट GST तुरते लग जाई हो ।।


घिउवा के आस न करिहा , मेवा मलाई हो ।

दाल रोटी राम चलइहें देखा ढिठाई हो ।।


एगो ला बात परिंदा , खूंटे गठियाई हो ।

रवना फुकवना देहि पंखिया कटवाई हो ।।


बोलबा त मारल जइबा ,बनबा जे बागी हो ।

भभका ना दियनी लेखा सूरज के आगी हो ।।



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