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Sharon Lasrado

Romance

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Sharon Lasrado

Romance

कैसे कहूं मैं तुमसे

कैसे कहूं मैं तुमसे

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कैसे कहूं मैं तुमसे,

कुछ आदत सी बन गई है तुझसे,

तुम मेरी जुस्तजू , मेरी दीवानगी

मेरी जिंदगी, मेरी पूरी दुनिया

बदल गई है तुमसे।


बेइंतहा इश्क,

और हद से ज्यादा पागलपन,

एक अजीब सी लत

लग गई है तुमसे।


मन की तेज वर्षा में

एक सोनी धूप जैसी,

इस तनाव भरे समुंदर में एक

सुकून सा किनारा

मिला हो जैसे तुमसे।


तुम्हें कभी पा नहीं सकती,

फिर भी तुम्हें खोने का डर,

हंसी आती है मेरे पागल मन के

इस बेवकूफ सोच से।


मेरी मान और सारे सिद्धांतों से

जैसे मैंने मुंह फेर लिया हो,

यह जोखिम भरे कदम कहां और

कब रुकेंगे यह डर से एक

रिश्ता बन गया हो जैसे।


कैसे कहूं मैं तुमसे,

वास्तविकता से दूर,

यह रूहानी अटूट संबंध में,

बस साथ रहना चाहती हूं तुमसे।


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