अधूरी सी तमन्ना
अधूरी सी तमन्ना

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नज़रें मिली कुछ इस तरह
घुल गई खामोशी हर जगह
मुस्कुराहट की जुबान धड़कनों को
टटोलने लगी कुछ इस तरह
दिल कुछ बेवकूफ-सा होने लगा
सही-गलत की समझ नासमझी-सी बनने लगी
समझदारी एक मजाक-सी लगने लगी
खुशी के पल दिल लम्हों में जीने लगा कुछ इस तरह
नंगे पैरों से मन ओस की बूंदों में चलने लगा
न खोने का डर न पाने की आकांक्षा
यह दिल्लगी से जीवन एक खूबसूरत
शांतस्थिर नदी-सी लगने लगी,
क्या कहे इस सम्मोहन को?
इश्क? या काल्पनिक अभिराम?
इस अधूरी सी तमन्ना से
जिंदगी जीने की जुस्तजू बनने लगी