STORYMIRROR

Vishal Kumar

Tragedy

3  

Vishal Kumar

Tragedy

क़ैद

क़ैद

1 min
68


क़ैद क्या है

ये अब जाना है,

बेबसी लाचारी में कई दिन गुजारा है।

ख़ुद पे जब आई तब ज्ञान आया है,

क़ैद परिंदो का दर्द याद आया है।


खतरा क्या है?

ये अब जाना है

डर के सायें में कई दिन गुजारा है

ख़ुद पे जब आईं तब एहसास जागा है

हलाल होते हुए बकड़े का ख़्याल आया है।


या ख़ुदा ..

इबादत क्या होती है?

ये याद आया है,

क़यामत का मंजर आंखो पे छाया है,

तेरे सज़दे में झुकने का समय आया है,

ख़ुद के अंदर झांकने का समय आया है।।

  

मुसीबतें टल जाएगी मौला

गर मेहरबां तू हो जाये

बलाये ये भी टल जाये

जो मददगार तू बन जाये!!



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy