काश
काश
काश ! तुम कुछ न कहते तो अच्छा होता,
काश ! हम जज़्बातों में न बहते तो अच्छा होता,
यह दिल तुम पे आया ही न होता,
कि काश ! तुम अजनबी रहते तो अच्छा होता।
काश! तुम ज़िंदगी में आये ही न होते ,
साथ रहने के वो सपने सजाये न होते,
न ही वो मुलाकातें होतीं ,
न ही तेरे तेरे नाम के हर्फ़ मैंने दिल में बसाये होते।
काश! तुमने मेरा वो पहला फोन उठया न होता,
उस रोज मेरे फोन मे नेटवर्क आया न होता,
क्यों खुद से जयादा जान लिया तुम्हें,
काश ! तुम अजनबी ही रहते तो अच्छा होता।
काश ! मैंने तुम्हें कॉफ़ी पिलाई न होती ,
कि काश! तुम उस मेरे घर आए न होते ,
लोग मिलाते हैं अक्सर शक्कर उसमें ,
कि काश! मैंने उसमे मोहब्बत मिलायी न होती।
काश! वो सड़क किनारे तुम ने मेरा हाथ पकड़ा न होता ,
कि तुमने मुझे अपनी झूठी मोहब्बत में जकड़ा न होता ,
तुम पहले ही कह देते मुझे दिल की बात,
तो न यह आँखें नम होतीं ,
न यह रोने धोने का लफड़ा होता।
याद किया है इस कदर ,
अब भुलाये नहीं हो भूलते ,
काश! तुम हमसे दूर ही रहते तो अच्छा होता,
तुम बेकसूर ही रहते तो अच्छा होता।