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Ruhani Ruhani

Romance

2.2  

Ruhani Ruhani

Romance

काश

काश

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काश ! तुम कुछ न कहते तो अच्छा होता,

काश ! हम जज़्बातों में न बहते तो अच्छा होता,

यह दिल तुम पे आया ही न होता,

कि काश ! तुम अजनबी रहते तो अच्छा होता।


काश! तुम ज़िंदगी में आये ही न होते ,

साथ रहने के वो सपने सजाये न होते,

न ही वो मुलाकातें होतीं ,

न ही तेरे तेरे नाम के हर्फ़ मैंने दिल में बसाये होते।


काश! तुमने मेरा वो पहला फोन उठया न होता,

उस रोज मेरे फोन मे नेटवर्क आया न होता,

क्यों खुद से जयादा जान लिया तुम्हें,

काश ! तुम अजनबी ही रहते तो अच्छा होता।


काश ! मैंने तुम्हें कॉफ़ी पिलाई न होती ,

कि काश! तुम उस मेरे घर आए न होते ,

लोग मिलाते हैं अक्सर शक्कर उसमें ,

कि काश! मैंने उसमे मोहब्बत मिलायी न होती।


काश! वो सड़क किनारे तुम ने मेरा हाथ पकड़ा न होता ,

कि तुमने मुझे अपनी झूठी मोहब्बत में जकड़ा न होता ,

तुम पहले ही कह देते मुझे दिल की बात,

तो न यह आँखें नम होतीं ,

न यह रोने धोने का लफड़ा होता।


याद किया है इस कदर ,

अब भुलाये नहीं हो भूलते ,

काश! तुम हमसे दूर ही रहते तो अच्छा होता,

तुम बेकसूर ही रहते तो अच्छा होता।



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