काश
काश
अगर हो सकता तो बताती तुम्हें
कि क्या महसूस करती हूं,
ना जाने कब होंगे रूबरू
खुद से या होंगे वाकिफ तुमसे,
जब मुलाकात होगी बता दूंगी
क्या महसूस करती हूं,
अरसे नहीं बस गुफ्तगू दो पल की है।
अगर हो सकता तो बताती तुम्हें
कि क्या महसूस करती हूं,
ना जाने कब होंगे रूबरू
खुद से या होंगे वाकिफ तुमसे,
जब मुलाकात होगी बता दूंगी
क्या महसूस करती हूं,
अरसे नहीं बस गुफ्तगू दो पल की है।