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Kamlesh Ahuja

Tragedy

3  

Kamlesh Ahuja

Tragedy

काश

काश

1 min
180


काश !!

माता-पिता की व्यथा को बच्चे समझ पाते,

तो उन्हें यूँ तन्हा छोड़कर कभी न जाते।

बच्चों की खुुशी के लिए,

वो अकेले रह लेते हैं।

बिन किसी से कुछ कहे,

दुख,तकलीफ सब सह लेते हैं।

माता-पिता की दर्द भरी कराहटों को बच्चे देख पाते,

तो उन्हें यूँ तन्हा छोड़कर कभी न जाते।

आँखों से उन्हें दिखता नहीं,

ठोकर खाकर वो संभलते हैं।

घुटनों ने भी साथ छोड़ दिया,

अब लाठी के सहारे चलते हैं।

माता-पिता के बुढ़ापे का लाठी बच्चे बन पाते,

तो उन्हें यूँ तन्हा छोड़कर कभी न जाते।

बिस्तर पर पड़े-पड़े वो,

सूनी दीवारों को ताकते।

अंत समय फिर बच्चों को,

यादकर अपने प्राण त्यागते।

माता-पिता के अंत समय की

पीड़ा को बच्चे महसूस कर पाते,

तो उन्हें यूँ तन्हा छोड़कर कभी न जाते।

भविष्य में बच्चे भी,

किसी के माता-पिता बनेंगे।

बुढ़ापे में उन्हें भी सहारा मिले,

आस यही अपने बच्चों से करेंगे

पर जैसा बोते हम यहाँ,वैसा ही काटते इस बात को बच्चे समझ पाते,

तो माता-पिता को यूँ तन्हा छोड़कर कभी न जाते।


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