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Jitendra Maurya

Romance

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Jitendra Maurya

Romance

काश! तुम समझते

काश! तुम समझते

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जुबां ए गुफ्तगू में फासले जरूरी थे,

कि तुम दिले गुफ्तगू तो समझो


जुबां ए गुफ्तगू तो लोग भूल जाते हैं,

दिले गुफ्तगू तो याद रहते हैं


जो तुम मेरी खामोशी को ना

समझे तो,

मेरे अल्फाज़ को क्या समझते


हमने सपने देखें थे नये आशियाने के,

सच तो ये हैं की आशियाने अकेले

नहीं बनते


शायर तो नहीं हैं जो शायरी कहते,

ये दिल के जज़्बात है काश! तुम समझते



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