कान्हा
कान्हा


गोविन्दा के मुख पर आया माखन का आलिंगन
मैं भी ऐसे ही पाऊं वासुदेव का आलिंगन
प्रात: कर सूर्य ने जन जन का उद्धार किया
कान्हा की महिमा का वर्णन भक्ति का है आलिंगन
शोभित है कण कण में मूरत मेरे मुरली की
बनवारी पर है, जन जन का आलिंगन
श्याम तुम्हारे नैनों से हो मेरे प्राणों का संगम
तालों को मिल जाये जैसे वर्षा का आलिंगन
कंकर कंकर आतुर है जीवन का रस पाने को
मुरलीधर की मुरली का प्राणों से आलिंगन
श्रृंगार की पूरक धरती नभ से अब तक वंचित है
मैंने तो प्रभु से पाया सुन्दरता का आलिंगन
जीवन मृत्यु तू ही जाने मेरे बस मैं क्या कान्हा
समस्त भाव मेरा तो है बस तेरा आलिंगन
आलिंगन, आलिंगन कृष्ण तेरा आलिंगन
भक्तों पा लो प्रभु से सुख का केवल आलिंगन