कागज़ कलम कल्पनाएँ
कागज़ कलम कल्पनाएँ
सुहानी शाम छलकती बारिश
हाथ में कलम साथ में कागज़
उन पर बिखरती मेरी कल्पनाएं
सौंधी सी ख़ुश्बू कॉफी की
महक पकोड़ों की आय हाय
किताब में गुलाब की तस्वीर
खुशबू से महकती मेरी इच्छाएँ।।
सुहानी शाम का रात में बदलना
छलकती बारिश का थम जाना
टोकना किसी का हकीकत में आना
हाथ में वही कलम वही कागज़
और कल्पनाओं का उमसें समा जाना
फिर धुंदली सी उम्मीदों का दिल में
सूरज की नई किरणों जैसा निखरना
लोगों की वाह वाह और खुश हो जाना
फिर एक नया वक़्त नया समां
हाथ में कलम साथ में कागज़
और उन पर बिखरती मेरी कल्पनाएं।