काबिलियत
काबिलियत
दोष दे के दुसरे को, खुद क्यों बच रहा है।
खुद पूछ तू को ये क्यों कर रहा है।
काबिलियत है तुझमे, और तेरा वक़्त गुजरा नहीं।
कर सकता है अभी भी तू, अगर खुद से विश्वास उतरा नहीं।
बुलंद कर हौसले को और हमसफ़र बना राह को।
अकेलापन ही है तेरा साथी, मत दे पनाह चाह को।
एक काम कर सब भूल जा बस याद रख एक काम को।
वो काम को पूजा बना, और त्याग दे आराम को।

