STORYMIRROR

Amar Raj

Romance Inspirational Children

4  

Amar Raj

Romance Inspirational Children

काबिलियत

काबिलियत

1 min
273

दोष दे के दुसरे को, खुद क्यों बच रहा है।

खुद पूछ तू को ये क्यों कर रहा है।


काबिलियत है तुझमे, और तेरा वक़्त गुजरा नहीं।

कर सकता है अभी भी तू, अगर खुद से विश्वास उतरा नहीं।


बुलंद कर हौसले को और हमसफ़र बना राह को।

अकेलापन ही है तेरा साथी, मत दे पनाह चाह को।


एक काम कर सब भूल जा बस याद रख एक काम को।

वो काम को पूजा बना, और त्याग दे आराम को।


Rate this content
Log in

More hindi poem from Amar Raj

Similar hindi poem from Romance