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Rajni Bajaj

Romance

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Rajni Bajaj

Romance

जुर्म

जुर्म

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देख कर यूं आँखें फेर लेते हैं वो

जुर्म यह बार-बार करते हैं वो

क्या सजा दी उनको इस बात की

चुपके चुपके हमसे इश्क करते हैं वो


खता यह खूबसूरत करते हैं वो

गुनाह में शामिल करते हैं वो

जुर्म ये आँखें करती हैं

सजा मिलती है इस दिल को


कोई तो उनसे कह दे हम भी गुनहगार हैं

अकेले वो ही नहीं हम भी तलब गार हैं

निगाहें मिलाने को जी चाहता है

हमसफर बनाने को जी चाहता है


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