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adv Devaram Bishnoi

Abstract

3  

adv Devaram Bishnoi

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-जो जीता वही सिकंदर

-जो जीता वही सिकंदर

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जा नहीं पहुंचे रवि वहां पहुंचे कवि।

चाहे कल्पना सुंदर होती हो

परन्तु जिया नहीं जा सकता है।

वास्तविकता चाहे कड़वी हों।

सच्चाई से रूबरू होना ही पड़ता है।

ख्वाबों में कभी जी नहीं सकते।

वाकिफ हकिकत से होना पड़ता है।

नींद से जगाया जा सकता है।

नींद में होने का ढोंग दिखावा करें।

उसे नहीं जगाया जा सकता है। 

 निष्पक्ष सच्चाई बता सकते है।

परन्तु निष्पक्ष बना नहीं सकते।

1.सत्तापक्ष

2.-विपक्ष

3.-निष्पक्ष 

सबमें वैचारिक भिन्नता मतभेद है।

सबके अस्तित्व का राज़ है।

शैतानी पक्ष-विपक्ष दोनों कि है।

सच्चाई तो निष्पक्ष एक की है।

बहुमत से सत्ता पाई है।

मनमानी सत्तापक्ष एक कि है।

विपक्ष न्याय मांग तक सिमित। 

निर्णय सत्तापक्ष पर निर्भर है।

निष्पक्ष विश्लेषण तक सिमित।

 हकीकत में सत्तापक्ष सबमें भारी।

जो जीता वही सिकंदर।

यह कहावत लोकोक्ति हमारी है।


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